पांच माह बाद श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के बोर्ड आफ ट्रस्टी की बैठक सात व अक्तूबर को तय हुई है। यह बैठक तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष व मणिराम छावनी पीठाधीश्वर महंत नृत्यगोपाल दास महाराज की अध्यक्षता में उन्हीं के आश्रम में अपराह्न तीन बजे से शुरू होगी। बैठक में रामलला के विग्रह के साथ प्राण प्रतिष्ठा के धार्मिक विधि विधान की मुख्य रूप से चर्चा की जाएगी। तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय ने बैठक की प्राथमिक सूचना सदस्यों को भेज दी है लेकिन एजेंडा अभी नहीं भेजा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रामलला के तीनों विग्रहों का निर्माण लगभग पूरा हो गया है और अंतिम रूप दिया जाना शेष है। बोर्ड आफ ट्रस्टी की बैठक में रामलला के तीनों विग्रहों पर भी मंथन होगा । यह भी तय किया जाएगा कि इनमें से किस विग्रह को श्रीरामजन्म भूमि के नवीन मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाए। इसके अतिरिक्त दोनों विग्रहों का स्थान भी नियत किया जाएगा।
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खास बात यह है कि रामलला के तीनों विग्रहों में से दो विग्रहों का निर्माण कृष्ण शिला (श्याम शिला) जो कि कर्नाटक से लाई गयी थी से किया जा रहा है। इनमें एक शिला से निर्माण बंगलुरु के प्रतिमा विज्ञान के विशेषज्ञ मूर्तिकार प्रो. गणेश भट्ट व उनके सहयोगी कर रहे हैं जबकि दूसरे पर कर्नाटक के ही प्रसिद्ध युवा मूर्तिकार अरुण योगीराज कर रहे हैं। मूर्तिकार योगीराज ने केदारनाथ धाम में आदि शंकराचार्य की मूर्ति का निर्माण किया था। इसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच नवम्बर 2021 को किया था।
पीएमओ की सलाह पर ही योगीराज को रामलला के विग्रह निर्माण का दायित्व सौंपा गया। इसके अतिरिक्त तीसरे विग्रह का निर्माण मकराना के श्वेत मार्बल से जयपुर के मूर्ति कला विशेषज्ञ सत्यनारायण पाण्डेय कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मूर्तिकार प्रो. भट्ट ने मई के तीसरे एवं पाण्डेय ने मई माह के अंत में विग्रह निर्माण की प्रक्रिया पूजन के साथ शुरू कर दी थी । योगीराज ने जून के पहले हफ्ते में निर्माण शुरू किया था। इस तरह करीब पांच माह का समय बीत चुका है।
श्रीविग्रह निर्माण के बाद रामलला अलग से धारण करेंगे तीर-धनुष
श्री रामजन्म भूमि में विराजित होने वाले रामलला के श्रीविग्रह का निर्माण होने के बाद नाना प्रकार के अलंकरणों से सुसज्जित किया जाएगा। फिर तीर व धनुष अलग से धारण कराया जाएगा। पांच वर्षीय बाल स्वरूप के रामलला के श्रीविग्रह की लंबाई 51 इंच निर्धारित की गयी है। वहीं आधार यानी महापीठ को शामिल करते हुए श्रीविग्रह की कुल ऊंचाई लगभग आठ फीट होगी। इस ऊंचाई का निर्धारण सीबीआरआई, रुड़की के वैज्ञानिकों ने रामनवमी के अवसर पर मध्याह्न 12 बजे सूर्य किरणों से भगवान के अभिषेक के लिए तय किया है।