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करनाल27 मिनट पहले

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गांधी चौक पर किसान एकता के नारे लगाते किसान।

कृषि कानूनों की वापसी को एक साल बीतने के बाद आज किसानों ने करनाल के गांधी चौक पर बैठकर विजय दिवस मनाया। आपको बता दे कि तीन कृषि कानूनों की वापसी को लेकर किसानों ने बड़ा आंदोलन किया था। दिल्ली के बॉर्डरों पर किसानों ने 380 दिनों तक धरना दिया था और हाईवे के टोल प्लाजा पर भी बैठकर प्रदर्शन किया था। किसानों के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापिस ले लिया था। जिसके बाद किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई थी और इन कानूनों की वापसी को एक साल का समय बीत चुका है। किसानों की इस जीत के कारण ही आज देशभर में SKM विजय दिवस मना रहा है।

अभी भी कुछ मांगे अधूरी

किसान नेता सुरेंद्र सांगवान ने बताया कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने 380 दिनों तक आंदोलन किया था। आज के दिन इन तीनों कानूनों को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वापिस ले लिया था और उसी उपलक्ष्य में आज विजय दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि किसानों की अभी भी कुछ मांगे अधूरी है। जिनमें एमएसपी, किसानों के मुआवजे और किसानों पर दर्ज मुकदमे शामिल है।

गांधी चौंक पर बैठकर विजय दिवस मानते किसान।

गांधी चौंक पर बैठकर विजय दिवस मानते किसान।

इन डिमांडों को लेकर पूरे देश के अंदर सभी राज्यों के किसान अपने-अपने राज्यपाल को 26 नवंबर को ज्ञापन सौपेंगे। किसानों के दल द्वारा 24 नवंबर को नेशनल हाईवे जाम करने की घोषणा के सवाल पर किसान नेता सांगवान ने कहा कि किसानों के जिस दल ने नेशनल हाइवे जाम करने की बात कही है वह उनकी अपनी सोच है, उसके अंदर सभी किसान दल शामिल नहीं है। यह उस दल का अकेला कार्यक्रम है। हाईवे जाम करने की वजह से ही किसानों पर मुकदमें दर्ज होते है। इसलिए अपना विरोध जताओ तो सही तरीके से ताकि अन्य लोगों को भी परेशानी ना हो।

राजनीति करना चाहता है चढूनी

किसान नेता ने बताया कि गुरनाम सिंह चढूनी जैसे किसान नेताओं ने किसान आंदोलन के दौरान किसानों को अपने पीछे लगाए रखा और राजनीति की और आज भी वे राजनीति ही करना चाहते है। इसलिए किसानों भाईयों को यही कहना चाहता हूं कि किसानों अपना बचाव करें और पहले भी जो मुकदमे किसानों पर दर्ज हुए है, वे इन्हीं किसान नेताओं के कारण हुए है और अब फिर किसानों को लेकर जाम करवाना चाहता है और फिर किसानों पर मुकदमे दर्ज होंगे। किसानों के साथ-साथ पब्लिक को भी परेशानी होगी। हम इसके हक में नहीं है। ये राजनीति करना चाहते है ऐसी राजनीति छोड़ दे। गुरनाम सिंह पहले पंजाब में राजनीति करने आ चुका है और अब हरियाणा में राजनीति करना चाहता है।

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