बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध से विकराल होगी फर्स्ट एंड लास्ट माइल कनेक्टिविटी की समस्या – bike taxi ban in delhi will impact peoples with first and last mile connectivity, see its repercussion

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बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध से विकराल होगी फर्स्ट एंड लास्ट माइल कनेक्टिविटी की समस्या – bike taxi ban in delhi will impact peoples with first and last mile connectivity, see its repercussion
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Bike Taxi Service Ban In Delhi: बीते दिनों दिल्ली में बाइक टैक्सी सर्विस पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया और इसकी वजह से उबर, ओला और रैपिडो बाइक टैक्सी सर्विस पर रोक लगा दी गई और नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माने की बात कही गई। आइए जानते हैं कि दिल्ली सरकार के इस फैसले से क्या प्रभाव पड़ रहा है? यह फैसला लगभग 1,00,000 बाइक और एक लाख चालक व उनके परिवार, लाखों यात्रियों, और प्रति माह अनुमानित 20 लाख यात्राओं से सीधे तौर पर जुड़ा है। विशेष रूप से यह लास्ट माइल कनेक्टिविटी को बुरी तरह प्रभावित करता है। अचानक ही उठाए गए इस कदम ने सवारियों और चालकों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। यह कुछ चालकों के लिए प्राथमिक व अन्य के लिए पूरक आय का स्रोत था। इसके साथ ही एक बड़ा सवाल यह है कि क्या बसें व परिवहन के अन्य साधन इन अतिरिक्त यात्रियों का दबाव झेल सकती हैं? संभवतः नहीं। आखिर यह फैसला क्या था?
हाल ही में 20 फरवरी, 2023 को दिल्ली परिवहन विभाग ने बाइक टैक्सी ऑपरेटर्स ओला, रैपिडो और उबर को तत्काल प्रभाव से अपनी बाइक टैक्सी के संचालन को बंद करने का निर्देश दिया है। दिल्ली के हजारों लोग जो कम लागत में छोटी दूरियों की यात्रा के लिए पिछले साढ़े तीन साल से ज्यादा समय से दोपहिया टैक्सियों का उपयोग कर रहे हैं, उन्हें इस फैसले से काफी नुकसान होगा- समय का भी और धन का भी। यह कुछ लोगों के लिए ऐप-बेस्ड परिवहन तक की पहुंच को मुश्किल बना देगा और यात्रा के साधनों व अन्य यात्रियों पर दबाव बढ़ा देगा। दरअसल, दिल्ली सरकार की योजना एक ऐसी नीति को आकार देने की है, जो इस क्षेत्र के लिए अन्य नियमों के साथ-साथ केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को ही बाइक टैक्सी के रूप में संचालन की अनुमति देगी। कहने की जरूरत नहीं है कि यह आम लोगों की जेब पर असर डालेगा।

दिल्ली सरकार ने अपने फैसले को दूसरे राज्यों के फैसलों के साथ जोड़ा है। इसके अनुसार यह बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला राज्य नहीं है, कई राज्यों ने ऐसा किया है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्रतिबंध लग चुका है। तमिलनाडु प्रतिबंध लगाना चाहता था, लेकिन मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के बाद बाइक टैक्सी अभी भी संचालन में है। वहीं, कर्नाटक बाइक टैक्सी के रूप में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन चाहता है। अन्य राज्य ऐप-बेस्ड बाइक चलाने वालों के लिए पीले नंबर प्लेट और रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करना चाहते हैं। वहीं, कोलकाता एक गैर-परिवहन वाहन को ऐप बाइक के रूप में पंजीकृत करने के लिए 1,000 रुपये चार्ज करना चाहता है और परिवहन के लिए अपनी बाइक का उपयोग करने की इच्छा रखने वालों के लिए एक अलग पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करना चाहता है।

हालांकि, सबसे गंभीर और ध्यान देने वाली बात यह है कि कई कारणों से ये कदम कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाए हैं। दरअसल, ऐप डिलीवरी पार्टनर ट्रिप की संख्या और अन्य कारकों के आधार पर हर महीने 8000 रुपये से 20,000 रुपये के बीच कमाते हैं- जिसमें से वे पेट्रोल और अन्य परिचालन लागतों के लिए भुगतान करते हैं। चालक अक्सर शिकायत करते हैं कि एग्रीगेटर्स उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा ले लेते हैं। ऐसे में कोई भी अग्रिम शुल्क या अनुमति प्राप्त करने की एक लंबी प्रक्रिया इन चालकों के हित में नहीं हो सकती है। भारत में तेज गति से शहरीकरण हो रहा है और शहरों को सभी नागरिकों को यात्रा के लिए आसान और किफायती विकल्प प्रदान करने चाहिए। इसका सबसे उत्तम समाधान बाइक टैक्सी है, जो लोगों के लिए एक सुविधाजनक और सस्ते लास्ट माइल परिवहन का बेहतर विकल्प है। क्या राज्य सरकारें लोकहित में अपने फैसलों पर पुनर्विचार कर सकती हैं? हमें ऐसी उम्मीद है।
आलेख- शांतनु गुहा रॉय

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