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बरेली में महिला स्वयं सहायता समूहों की आमदनी मुर्गी पालन के जरिए बढ़ाई जाएगी। ग्राम्य विकास विभाग और सीएआरआई मिलकर महिला समूहों को आत्म निर्भर बनाएंगे। पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर हर ब्लॉक से 5-5 महिला स्वयं सहायता समूहों को चुना गया है। दूसरे चरण में सभी गांवों के महिला स्वयं सहायता समूहों को मुर्गी पालन में सहयोग किया जाएगा। एनआरएलएम के तहत संचालित महिला समूहों की आमदनी बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। 

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मनरेगा के कई छोटे-छोटे प्रोजेक्ट महिला समूहों को दिए गए हैं। अब मुर्गी पालन के जरिए महिला समूहों की आमदनी बढ़ाने की योजना पर काम शुरू हुआ है। इसमें ग्राम्य विकास विभाग का साथ सीएआरआई देगा। महिला समूहों की सदस्यों को मुर्गी पालन के लिए दो लाख मुर्गी पालने के लिए शेड बनाकर दिया जाएगा। सीएआरआई में महिला समूहों को मुर्गी पालन की ट्रेनिंग दी जाएगी। सीएआरआई महिला समूहों को अच्छी नस्ल की मुर्गी के बच्चे भी मुहैया कराएगा।

पहले चरण में सभी 15 ब्लॉक के 75 महिला समूहों को ही मिल सकेगा। महिला समूह में शामिल सभी सदस्यों को मुर्गी पालन शेड मनरेगा से दिया जा सकेगा। मुर्गी पालन शेड समूह की सदस्यों को मुफ्त दिया जाएगा। डीसी मनरेगा हसीब अंसारी ने बताया कि मुर्गी पालन के जरिए महिला समूहों को आत्म निर्भर बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।

बता दें कि मुर्गी का व्यवसाय काफी फायदे का सौदा माना जाता है। इसके पालन से लेकर अंडे को बेचने तक किसानों को एक पूरी जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। ऐसे में सरकार और अन्य विभागों की तरफ से मदद की जाती है जिससे बाजार से मुर्गियों को खरीदने के बजाय खुद से उनका अपने फार्म पर प्रजनन कर सकते हैं।

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