अमर उजाला नेटवर्क, चंडीगढ़
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Thu, 13 May 2021 12:59 AM IST
सार
प्रदेश में ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीजों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता और बढ़ा दी है। कोरोना से ठीक होने के बाद अब ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जिन्हें शुगर है और उन पर ब्लैक फंगस ने हमला बोल दिया है।
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विस्तार
मुख्यालय के पास मरीजों का डाटा नहीं
स्वास्थ्य विभाग के पास अभी तक ऐसा कोई डाटा नहीं है कि राज्य के किस जिले में ब्लैक फंगस के कितने मरीज मिले हैं। ब्लैक फंगस को लेकर विभाग अलर्ट है।
– डा. वीना सिंह, स्वास्थ्य महानिदेशक
दवाइयों की कालाबाजी की आशंका
रेमडेसिविर के बाद अब प्रदेश में ब्लैक फंगस बीमारी में काम आने वाली दवाइयों की कालाबाजारी बढ़ने की आशंका है। पिछले एक सप्ताह से इस तरह के मामले सामने आने के बाद से बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां बाजार से कम होने लगी हैं। विशेषज्ञों की राय है कि सरकार को कालाबाजारी से पहले ही इस पर फैसला लेना चाहिए ताकि इसे रोका जा सके और मरीजों को आसानी से दवा मिल सके।
पीजीआई में करीब 20 ऐसे मामले
पिछले एक सप्ताह में पीजीआई रोहतक में सबसे अधिक ऐसे मामले सामने आए। पीजीआई में करीब 20 ऐसे मामले आए। इनमें से कुछ लोगों की आंख चली गई तो किसी का कान। वहीं, दो लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अब करनाल मेडिकल कॉलेज में भी दो ऐसे मरीजों की पहचान की गई है, जिनको फंगस इंफेक्शन हो गया है। प्रांरभिक लक्षणों को देखते हुए उनका इलाज शुरू कर दिया है।
दोनों को शुगर है और कोरोना से ठीक होने के बाद ऐसा हुआ है। एक व्यक्ति की आंख पर फंगस फैल चुकी है, जबकि दूसरी की अभी शुरुआत हुई है। मेडिकल कॉलेज के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि दोनों का इलाज जारी है। हमारा प्रयास है कि दोनों की आंखों को बचाया जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के दौरान मरीजों को स्टेरायड दिया जाता है, इसी के चलते शुगर के मरीजों को बाद में ये दिक्कत होती है।