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सिद्धार्थनगर में पकड़ा गए फर्जी आईटीआई कालेज को लेकर नया खुलासा सामने आया है। पिछले सात वर्षों से चल रहे इस फर्जी कॉलेज में प्रवेश से लेकर शुल्क जमा करने व प्रमाणपत्र देने तक की पूरी व्यवस्था आनलाइन है। इसके अलावा, यह कॉलेज जिस व्यक्ति के नाम पर है, वह व्यक्ति भी जालसाजी के मामले में दोषी रह चुका है। बता दें कि कॉलेज में पैसा कमाने के उद्देश्य से लोगों को फर्जी डिग्री दी जाती थी, जिनके बारे में उन्हें पता भी नहीं होता था।

छापेमार कार्रवाई के बाद कॉलेज प्रबंधक व उसके एक सहयोगी को गिरफ्तार किया गया। इस फर्जीवाड़े का खुलासा पुलिस ने बुधवार को किया था।
एसओजी व पुलिस की संयुक्त टीम ने किया भंडाफोड़
सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज के गांव रमवापुर उर्फ नेबुआ में बने कॉलेज की दो मंजिला इमारत है, जिसमें श्रीरामसूरत निजी आईटीआई कालेज, श्रीरामसूरत एपेक्स इंस्टिट्यूट एंड टेक्नालाजी एवं श्रीरामसूरत योग संस्थान जैसे तीन प्रशिक्षण संस्थान चलते थे। यहां आनलाइन दो से तीन माह के डिप्लोमा कोर्सेज में योगा, इंजीनियरिंग, पैरामेडिकल, फायर शेफ्टी, वोकेशनल, पर्सनालिटी डेवलपमेंट, मार्केटिंग व कम्प्यूटर काेर्स संचालित होते थे। इसका भंडाफोड़ एसओजी सहित स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीम ने किया था।
संस्थान की ऑनलाइन वेबसाइट बेहद हाईटेक
जांच में सामने आया कि कॉलेज प्रबंधक श्याम जी चौधरी उर्फ श्याम वर्मा भी इसी गांव का निवासी है। कालेज उसके बाबा के नाम पर है, जो वर्ष 89-90 में गांव के प्रधान रहते हुए जालसाजी के मामले में तत्कालीन लेखपाल बृजभूषण श्रीवास्तव के साथ जेल गया था। संस्थान की ऑनलाइन वेबसाइट इस कदर हाईटेक है कि प्रवेश लेने वाले को अपने हर प्रश्न का उत्तर ऑनलाइन मिल जाता है।
ऑनलाइन ही होता था पेमेंट
वेबसाइट से ही किसी भी कोर्स के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। फार्म सबमिट करने के बाद संस्थान से प्रवेशार्थी के नंबर पर संपर्क कर गूगल पे, फोन पे के माध्यम से शुल्क जमा कराने की व्यवस्था है। जिसके बाद उन्हें एक इनरोलमेंट नंबर मिलता है। इसी के सहारे प्रवेश लेने वाले सप्ताह भर बाद वेबसाइट से ही प्रमाणपत्र डाउनलोड कर लेते थे। संस्था से हार्ड कापी कोरियर के माध्यम से पते पर पहुंचाया जाता था। कोतवाल सूर्यभान सिंह ने बताया कि इस प्रकार के अन्य संस्थानों पर भी पुलिस व मीडिया सेल नजर बनाए हुए है।