काठमांडू, : नेपाल में सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ चल रहे छात्र-छात्राओं के नेतृत्व वाले प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है। प्रदर्शनकारियों ने ऊर्जा मंत्री के घर और राष्ट्रपति के निजी आवास पर कब्जा कर लिया है, जिससे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार पर गहरा संकट मंडरा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में प्रदर्शनकारी मंत्री के घर से दस्तावेज फेंकते और धुआं उठते हुए नजर आ रहे हैं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
प्रदर्शनों की शुरुआत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप और अन्य पर लगाए गए बैन से हुई, जिसे युवाओं ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया। प्रदर्शनकारी इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं और प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में ये प्रदर्शन पूरे देश में फैल गए, जिसमें काठमांडू सहित प्रमुख शहर शामिल हैं। पुलिस के साथ झड़पों में कम से कम 19 लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से अधिक घायल हुए हैं।
सरकार ने प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए रबर की गोलियां, आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया, लेकिन इससे स्थिति और बिगड़ गई। संसद भवन के आसपास प्रदर्शनकारियों ने घेराव किया, जिसके बाद कम से कम 14 मौतें हुईं।
जनरेशन Z के नेतृत्व में ये प्रदर्शन अब ओली सरकार के खिलाफ व्यापक असंतोष का रूप ले चुके हैं, जिसमें बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक मुद्दे भी शामिल हो गए हैं।
हिंसा के बाद सरकार ने सोशल मीडिया बैन हटा लिया है, लेकिन प्रदर्शनकारी अभी भी इस्तीफे की मांग पर अड़े हैं।
भारतीय दूतावास ने नेपाल में रहने वाले भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है, क्योंकि हिंसा से पर्यटन और दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ओली सरकार नहीं गई तो प्रदर्शन और तेज हो सकते हैं, जो नेपाल की राजनीतिक स्थिरता के लिए खतरा है। अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार कैबिनेट बैठक बुलाई गई है।