यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2016 में 53वीं रैंक हासिल करने वाले मनुज जिंदल ने ट्वीट कर लिखा- ‘ज्यादातर गंभीर यूपीएससी उम्मीदवार ट्विटर पर नहीं हैं। व्यर्थ के वाद-विवाद से दूर रहें, चाहे वे कुछ भी हों। जब मैं तैयारी कर रहा था तो मैं सोशल मीडिया पर नहीं था। यूट्यूब और इंटरनेट का उपयोग केवल पढ़ाई के मकसद से बुद्धिमानी के साथ करें। दिल बहलाने के लिए किसी पार्क में जाएं, टहलने जाएं, अपने करीबी दोस्तों या परिवार से बात करें, या कभी-कभी मूवी देखें।’ वर्तमान में मनुज महाराष्ट्र में ठाणे जिला परिषद् के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर हैं।
IAS मनुज ऑफिसर ने शेयर किए हाथ से लिखे 4 पेज के नोट्स
क्यों विवादों में घिरे डॉ विकास दिव्यकीर्ति
दृष्टि IAS कोचिंग संस्थान के संस्थापक डॉ. विकास दिव्यकीर्ति यूपीपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी करने वालों के बीच काफी जाना-पहचाना नाम है। खासतौर पर हिंदी मीडियम से यूपीएससी की तैयारी करने वाले हजारों अभ्यर्थी उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। यूट्यूब पर इनके वीडियो को भी भारी संख्या में लोग देखते हैं। शुक्रवार को सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हो गया। इस वीडियो में वो भगवान राम और माता सीता के बारे में बात कर रहे हैं। यह वीडियो आरएसएस नेता साध्वी प्राची ने BanDrishtiIAS हैशटैग के साथ शेयर किया था। वीडियो में राम और सीता का उन्होंने जो वर्णन किया, उसे लेकर विवाद हो गया। वीडियो के वायरल होने के बाद ट्विटर पर #BanDrishtiIAS ट्रेंड करने लगा। लोग दृष्टि आईएएस को बैन करने की मांग करने लगे।
साध्वी प्राची की ओर से शेयर किए गए वीडियो में विकास दिव्यकीर्ति को संस्कृत के एक लेखक को कोट करते हुए सुन सकते हैं, ‘हे सीते अगर तुम्हें लगता है कि युद्ध मैंने तुम्हारे लिए लड़ा है तो तुम्हारी गलतफहमी है। युद्ध तुम्हारे लिए नहीं लड़ा है, युद्ध अपने कुल के सम्मान के लिए लड़ा है। रही तुम्हारी बात तो जैसे कुत्ते द्वारा चाटे जाने के बाद घी भोजन योग्य नहीं रहा जाता है वैसे ही अब तुम मेरे योग्य नहीं हो।’
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वहीं हैश टैग #ISupportDrishtiIAS के साथ दृष्टि आईएएस का बचाव करने वालों का कहना है कि लोग अधूरी क्लिप शेयर कर डॉ विकास को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका अधूरा वीडियो शेयर किया गया है। उनका पूरा वीडियो सुना जाना चाहिए। बचाव में उतरे लोगों का कहना है कि विकास दिव्यकीर्ति ने अपनी वीडियो में जो भी बातें की हैं वो एक किताब में कही गई हैं। उसमें उन्होंने कुछ भी अपनी तरफ से नहीं जोड़ा है। दिव्यकीर्ति के समर्थकों का कहना है कि अगर पूरा बयान सुना जाए तो विवाद की कोई बात ही नहीं है।
IAS की नौकरी छोड़ कोचिंग की दुनिया में आए
डॉ विकास दिव्यकीर्ति का जन्म हरियाणा के मध्यम वर्गीय परिवार में 26 दिसंबर 1973 को हुआ। उनके माता-पिता दोनों ही हिंदी साहित्य के प्रोफेसर रहे। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए किया। इसके बाद उन्होंने हिंदी में एमए, एमफिल और फिर पीएचडी की। डी और भारतीय विद्या भवन से अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री भी हासिल की। 1996 में अपने पहले ही प्रयास में UPSC एग्जाम पास कर लिया। वह IAS ऑफिसर बन गए, उनकी तैनाती गृह मंत्रालय में हुई। हालांकि, ऑफिसर के काम-धाम में उनका मन नहीं लगा। महज एक साल बाद ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 1999 में डॉ विकास दिव्यकीर्ति ने दृष्टि IAS कोचिंग इंस्टीट्यूट की नींव रखी।