नमामि गंगे के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से महज 100 मीटर की दूरी पर आबादी क्षेत्र के लोगों ने भी करंट महसूस किया था। मंगलवार की शाम को जब ऑपरेटर गणेश को करंट लगा उस वक्त भी एसटीपी के टिन शेड से लेकर रास्ते में लोहे की जाली तक करंट दौड़ा था। एसटीपी में धमाके की आवाज हुई थी और धुंआ उठा लेकिन बारिश होने के कारण कोई भी उस तरफ नहीं गया।
यह बातें स्थानीय ग्रामीणों ने बताईं। बुधवार को दिन में भी कई ग्रामीणों ने घरों में करंट महसूस किया और हादसे के बाद तो ग्रामीणों ने पूरी रात एक जगह बैठकर बिताई। अलकनंदा किनारे पुराने पुल के समीप 12 परिवार रहते हैं। यहीं एसटीपी भी स्थित है और यहां के ग्रामीण अभी तक करंट हादसे के बाद से खौफ में हैं। किरन ने बताया कि बुधवार को पूर्वाह्न 11 बजे जब एसटीपी पर करंट दौड़ा तो वह उस वक्त घटनास्थल से 100 मीटर दूर अपने मकान में थीं और वहां तक करंट महसूस हुआ।
पानी के नल पर भी करंट आ रहा था। वह दौड़कर बाहर आईं तो वहां लोग और पुलिस के जवान चिल्लाते हुए सड़क की ओर दौड़ रहे थे। उन्होंने कहा कि 16 शव उन्हीं के आंगन से होते हुए सड़क तक पहुंचाए गए, जिस कारण उन्हें बुधवार रातभर नींद नहीं आई। सभी परिवारों ने एक जगह पर इकट्ठा होकर रतजगा किया।
64 वर्ष की भवानी देवी ने कहा कि हम 1999 से यहां पर रह रहे हैं। यह प्लांट 4 साल पहले बना है। पहले भी इस प्लांट से करंट आता था। मंगलवार शाम को भी प्लांट से चिंगारी उठ रही थी और प्लांट से धुंआ। बुधवार को जब प्लांट में करंट आया तो यह घरों में भी महसूस हुए। उन्होंने उन्हें विस्थापित करने की मांग की।
शिकायत पर कंपनी के अधिकारियों ने नहीं दिया ध्यान
प्लांट में हादसा होने के बाद बृहस्पतिवार को मंजू देवी अपने ससुराल निजमुला घाटी से चमोली पहुंचीं। उन्होंने बताया कि उनका घर प्लांट के समीप ही है। परिजनों की खैरियत लेने के लिए वह यहां पहुंची हैं। आरती, धनेश्वरी और मुनैजा ने बताया कि हादसे के बाद से यहां दोपहर में भी डर लग रहा है। पहले भी कई बार कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों को प्लांट से करंट आने की शिकायत की गई लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। हमारे बच्चे भी प्लांट के आसपास ही घूमते थे। अब बच्चों को उस तरफ जाने नहीं दिया जा रहा है।
एसटीपी प्लेटफार्म पर रह गए हादसे के निशान
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के बाहर प्लेटफार्म पर हादसे के बाद के निशान अभी तक मौजूद हैं। यहां मृतकों के जूते, चप्पल, हेलमेट, छाता, टोपी जगह-जगह पड़े हैं। एसटीपी तक जाने वाले करीब 20 मीटर के हिस्से में लोहे की रेलिंग पर भी करंट के बाद के धब्बे साफ दिख रहे हैं। हादसे के बाद से एसटीपी के गेट पर पुलिस टीम तैनात की गई है, किसी को भी प्लांट परिसर में घुसने नहीं दिया जा रहा है।
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एनसीसी के अधिकारियों व जवानों ने किया रक्तदान
करंट हादसे के बाद घायलों के उपचार के लिए रक्त की जरूरत थी। इस पर एनसीसी कार्यालय गोपेश्वर से अधिकारी और जवान जिला अस्पताल पहुंचे और उन्होंने घायलों के लिए रक्तदान किया। रक्तदान करने वालों में कर्नल राजेश रावत, नायब सूबेदार जगदीश प्रसाद सेमवाल, हवलदार रणवीर सिंह, हवलदार जगदीश धामी, दफादार संतोष धीरज, स्टोर कीपर संदीप, चालक कपिल बडोनी व जीत सिंह शामिल रहे।