वहीं करीब 20 हजार से ज्यादा आवासीय भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। यहां भूकंप के झटकों के बाद लोगों के जेहन में वर्ष 1991 के विनाशकारी भूकंप की यादें ताजा हो गई। उस समय भी लोग सोए हुए थे कि रात करीब 2ः53 बजे अचानक धरती डोली और जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गए थे।
उस भूकंप के बाद से जब भी यहां भूकंप का हल्का झटका महसूस होता है तो लोग सिहर उठते हैं। यहां 1991 के बाद से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। जिसके चलते लोगों में चर्चा है कि यदि बड़ा भूकंप आया तो अब पिछली बार से भी ज्यादा नुकसान हो सकता है।
इधर, भूगर्भ वैज्ञानिक डा.सुशील कुमार का कहना है कि पूरा हिमालयी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है।
यहां हर दिन 2 से 5 रिक्टर स्केल की तीव्रता के भूकंप आते रहते हैं।
बताया कि इंडियन प्लेट के लगातार यूरेशियन प्लेट की ओर गति करने से भूगर्भीय हलचल बढ़ी हैं।
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फिलहाल एक बार फिर उत्तरकाशी के लोग दहशत में हैं।