मसलन, फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा (Meta layoffs) ने भी अपने 11 हजार कर्मचारियों को बाहर निकालने का फैसला लिया है। खुद मेटा के सीईओ और फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने यह जानकारी दी। उन्होंने इसे मेटा के इतिहास में सबसे कठिन बदलाव बताया। मेटा ने स्वीकारा है कि उसकी कमाई में गिरावट आई है। इसमें एक वजह वैश्विक मंदी की आशंका को भी माना जा रहा है।
ट्विटर के फैसले को भी इसी नजरिए से जोड़कर देखें, तो उसने अपने 50 प्रतिशत स्थायी स्टाफ (लगभग 3,700 कर्मचारियों) को निकाला है। कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले 4,400 कर्मचारियों को भी हटाया गया है। दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने भी छंटनी की है और तीन बार में लगभग 3,000 कर्मचारी निकाले हैं।
Snapchat की पैरेंट कंपनी Snap में छंटनी की बात तो अगस्त में ही सामने आ गई थी। कंपनी ने लगभग 1250 वर्कफोर्स को घटाया है। साउथ ईस्ट एशिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी सी लिमिटेड (Sea Ltd) ने बीते 6 माह में 7 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को हटा दिया है।
हार्डड्राइव बनाने वाली सीगेट (Seagate Technology) कह चुकी है कि वह लगभग 3,000 कर्मचारियों को निकालने की तैयारी कर रही है, जो कंपनी की कुल वर्कफोर्स का 8 फीसदी हैं। इस लिस्ट में क्रिप्टो क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को जोड़ दें, तो आंकड़ा 50 हजार के पार पहुंच जाएगा, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का सेक्टर लगभग तबाह हो गया है।