High Court : Instead Of Committing Suicide, There Were Other Options To Get Rid Of The Cheating Wife – हाईकोर्ट की टिप्पणी : आत्महत्या करने के बजाय धोखेबाज पत्नी से छुटकारा पाने के और भी तो विकल्प थे
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Mon, 24 Jan 2022 12:15 AM IST
सार
मृतक अपनी पत्नी के प्रति बहुत संवेदनशील और स्वामित्व वाला प्रतीत होता है, उसके पास खुद की जान लेने की बजाय उससे (पत्नी से) छुटकारा पाने के लिए कई अन्य रास्ते और विकल्प थे। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने याची नजीम और अरीबा की जमानत अर्जी पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया।
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अभियोजन की कहानी परिस्थितियों के अनुसार सच प्रतीत होती है। पति ने इसी कारण आत्महत्या कर ली है कि वह अपनी पत्नी के साथ लगातार धमकी और झगड़े की शर्तों के तहत था। उसने याची नजीम के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित किए हैं।मृतक अपनी पत्नी के प्रति बहुत संवेदनशील और स्वामित्व वाला प्रतीत होता है, उसके पास खुद की जान लेने की बजाय उससे (पत्नी से) छुटकारा पाने के लिए कई अन्य रास्ते और विकल्प थे। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने याची नजीम और अरीबा की जमानत अर्जी पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया।
कोर्ट के विचार में विवाहेतर संबंध विकसित करने का आरोप और यही आत्महत्या करने का कारण है। सर्वोच्च न्यायालय के उक्त निर्णयों के आलोक में आवेदक जमानत के पात्र हैं। अंतत: कोर्ट ने दोनों आरोपियों को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी।
अभियोजन के अऩुसार अरीबा का याची-नजीम के साथ अवैध संबंध था। यही अरीबा के पति की आत्महत्या का एकमात्र मूल कारण था। इस मामले में आरोपित पर धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) लगाया गया है।
कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया कि मृतक अपने जीवनकाल में अपनी भावनाओं को गवाहों के साथ साझा करता था कि वे दोनों मृतक के साथ दुर्व्यवहार करते थे और उसे आत्महत्या के लिए उकसाते थे।
आवेदक के वकील ने सर्वोच्च न्यायालय के कई फैसलों का उदारहण देते हुए कहा कि क्या विवाहेतर संबंध ‘क्रूरता’ के दायरे में आते हैं, लेकिन धारा 107 आईपीसी के दायरे के भीतर नहीं आते हैं।
विस्तार
अभियोजन की कहानी परिस्थितियों के अनुसार सच प्रतीत होती है। पति ने इसी कारण आत्महत्या कर ली है कि वह अपनी पत्नी के साथ लगातार धमकी और झगड़े की शर्तों के तहत था। उसने याची नजीम के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित किए हैं।
मृतक अपनी पत्नी के प्रति बहुत संवेदनशील और स्वामित्व वाला प्रतीत होता है, उसके पास खुद की जान लेने की बजाय उससे (पत्नी से) छुटकारा पाने के लिए कई अन्य रास्ते और विकल्प थे। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने याची नजीम और अरीबा की जमानत अर्जी पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया।
कोर्ट के विचार में विवाहेतर संबंध विकसित करने का आरोप और यही आत्महत्या करने का कारण है। सर्वोच्च न्यायालय के उक्त निर्णयों के आलोक में आवेदक जमानत के पात्र हैं। अंतत: कोर्ट ने दोनों आरोपियों को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी।
अभियोजन के अऩुसार अरीबा का याची-नजीम के साथ अवैध संबंध था। यही अरीबा के पति की आत्महत्या का एकमात्र मूल कारण था। इस मामले में आरोपित पर धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) लगाया गया है।
कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया कि मृतक अपने जीवनकाल में अपनी भावनाओं को गवाहों के साथ साझा करता था कि वे दोनों मृतक के साथ दुर्व्यवहार करते थे और उसे आत्महत्या के लिए उकसाते थे।
आवेदक के वकील ने सर्वोच्च न्यायालय के कई फैसलों का उदारहण देते हुए कहा कि क्या विवाहेतर संबंध ‘क्रूरता’ के दायरे में आते हैं, लेकिन धारा 107 आईपीसी के दायरे के भीतर नहीं आते हैं।