Saturday, April 26, 2025
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भारत ने बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा समाप्त की, क्षेत्रीय व्यापार पर बड़ा असर 🔥

नई दिल्ली, 9 अप्रैल 2025: भारत ने बांग्लादेश के निर्यात कार्गो के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा को समाप्त कर दिया है, जिससे बांग्लादेश का भूटान, नेपाल और म्यांमार के साथ व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा। यह कदम बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के पास चीनी आर्थिक भूमिका का समर्थन किया था।

यूनुस ने हाल ही में चीन में कहा था, “भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के सात राज्य, जिन्हें ‘सात बहनें’ कहा जाता है, भू-आवेष्टित (लैंडलॉक्ड) हैं और समुद्र तक उनकी पहुंच नहीं है। इस क्षेत्र के लिए बांग्लादेश ही समुद्र का एकमात्र संरक्षक है।” इस बयान को भारत ने गंभीरता से लिया और इसे क्षेत्रीय भू-राजनीति में हस्तक्षेप के रूप में देखा।

भारत का सख्त कदम

भारत के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने 8 अप्रैल 2025 को एक अधिसूचना जारी कर 29 जून 2020 के उस परिपत्र को रद्द कर दिया, जिसके तहत बांग्लादेश को भारत के स्थलीय सीमा शुल्क स्टेशनों (LCS) के माध्यम से तीसरे देशों में निर्यात के लिए ट्रांसशिपमेंट की सुविधा दी गई थी। इस सुविधा के तहत बांग्लादेश अपने माल को भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों के रास्ते भूटान, नेपाल और म्यांमार भेज सकता था।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “इस सुविधा के कारण भारत के हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर भारी भीड़भाड़ हो रही थी, जिससे भारत के अपने निर्यात में देरी और लागत में वृद्धि हो रही थी। इसलिए इसे तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है।” हालांकि, यह स्पष्ट किया गया कि इससे बांग्लादेश के नेपाल और भूटान को भारतीय क्षेत्र से होकर होने वाले निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

बांग्लादेश पर क्या होगा असर?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से बांग्लादेश की व्यापारिक रसद (लॉजिस्टिक्स) पर गहरा असर पड़ेगा। ढाका विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर सेलीम रायहान ने कहा, “यह कदम बांग्लादेश की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को और कमजोर करेगा, खासकर तब जब अमेरिका ने पहले ही बांग्लादेशी निर्यात पर 37% का जवाबी शुल्क लगा दिया है।” बांग्लादेश के एक व्यापारी यूनुस हुसैन ने कहा, “इससे नेपाल और भूटान को होने वाला हमारा निर्यात पूरी तरह रुक जाएगा।”

हालांकि, बांग्लादेश गारमेंट मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन की पूर्व अध्यक्ष रुबाना हक ने कहा कि रेडीमेड गारमेंट्स, जो बांग्लादेश का सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र है, पर इसका असर सीमित होगा क्योंकि वे ज्यादातर सीधे शिपिंग पर निर्भर हैं। फिर भी, यह क्षेत्रीय व्यापार की संभावनाओं को प्रभावित करेगा।

भू-राजनीतिक तनाव की पृष्ठभूमि

यह कदम तब आया है जब भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं। यूनुस के सत्ता में आने के बाद से भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमलों को लेकर चिंता जताई है। इसके अलावा, यूनुस का यह बयान कि बांग्लादेश भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए समुद्र तक पहुंच का संरक्षक है, भारत के लिए एक रणनीतिक चुनौती के रूप में देखा गया।

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह कदम माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय हितों और पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह भारत की रणनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताओं को संरक्षित करने की दिशा में एक निर्णायक कार्रवाई है।”

क्षेत्रीय व्यापार की नई गतिशीलता

यह कदम दक्षिण एशिया में व्यापारिक गतिशीलता में बदलाव का संकेत देता है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यह फैसला विश्व व्यापार संगठन (WTO) के उन नियमों का उल्लंघन कर सकता है, जो भू-आवेष्टित देशों को पारगमन की स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं। उन्होंने कहा, “इससे नेपाल और भूटान जैसे देशों को भी चिंता हो सकती है, क्योंकि उनका बांग्लादेश के साथ व्यापार प्रभावित होगा।”

दूसरी ओर, कुछ भारतीय व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भारतीय निर्यात क्षेत्रों, जैसे परिधान, जूते और रत्न-आभूषण उद्योगों को फायदा पहुंचाएगा, क्योंकि इससे भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर भीड़भाड़ कम होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने इस कदम के जरिए बांग्लादेश को सख्त संदेश दिया है कि वह क्षेत्रीय भू-राजनीति में गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी से बचे। यह कदम न केवल बांग्लादेश की व्यापारिक रणनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि दक्षिण एशिया में भारत की रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करेगा।

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