चंद्रशेखर ने बताया कि उन्होंने इस स्टेकहोल्डर्स के सुझाव फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण तक पहुंचा दिए हैं। सीतारमण को दिए गए सुझावों में से एक का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि SVB में फंड रखने वाले स्टार्टअप्स को भारतीय बैंक एक डिपॉजिट से जुड़ी क्रेडिट लाइन की पेशकश कर सकते हैं।
दुनिया में भारत स्टार्टअप्स के बड़े मार्केट्स में से एक है। पिछले कुछ वर्षों में भारत के कई स्टार्टअप्स ने एक अरब डॉलर से अधिक का वैल्यूएशन हासिल किया है। इनमें विदेशी इनवेस्टर्स की बड़ी रकम लगी है। SVB के दिवालिया होने से दुनिया भर में मार्केट्स पर असर पड़ा था। इससे बैंकिंग शेयरों में भारी गिरावट आई थी। हाल के वर्षों में बड़ी फंडिंग हासिल करने वाले कंज्यूमर इंटरनेट स्टार्टअप्स पर कम असर पड़ा था क्योंकि उनका SVB में एकाउंट नहीं है या इसमें बहुत कम फंड है। JP Morgan के एनालिस्ट्स ने बताया है कि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और इंफोसिस जैसी देश की बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों का अमेरिका के ऐसे रीजनल बैंकों में अधिक डिपॉजिट है जो वित्तीय मुश्किलों से जूझ रहे हैं। इन कंपनियों को SVB में भी कुछ डिपॉजिट हो सकता है और इस वजह से चौथी तिमाही में इन्हें प्रोविजन करने की जरूरत पड़ सकती है।
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