Janmashtami 2025: श्रीकृष्ण पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि जानें

जन्माष्टमी 2025 श्रीकृष्ण पूजा

Janmashtami 2025 : जन्माष्टमी, हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष 16 अगस्त 2025 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का 5252वां उत्सव मनाया जा रहा है। यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो भगवान कृष्ण के जन्म की तिथि है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, लड्डू गोपाल की विशेष पूजा करते हैं, और भगवान को भोग अर्पित करते हैं। इस लेख में हम जन्माष्टमी 2025 के शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, मंत्र, और भोग के बारे में विस्तार से जानेंगे ताकि आप इस पर्व को पूर्ण भक्ति और विधि-विधान के साथ मना सकें।

Janmashtami 2025 का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अष्टमी तिथि 15 अगस्त 2025 की रात 11:48 बजे शुरू हो चुकी है और 16 अगस्त 2025 की रात 9:34 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के आधार पर, जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को मनाया जा रहा है। श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त मध्यरात्रि 12:04 बजे से शुरू होगा और 12:47 बजे तक रहेगा। इस दौरान चंद्रोदय रात 11:32 बजे होगा, जो भगवान कृष्ण के जन्म के समय को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है। इस 43 मिनट की अवधि में भक्त भगवान का जन्मोत्सव मना सकते हैं और पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

हालांकि, इस साल रोहिणी नक्षत्र का संयोग जन्माष्टमी के दिन नहीं बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त को सुबह 4:38 बजे शुरू होगा और 18 अगस्त को तड़के 3:17 बजे समाप्त होगा। इसलिए, भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे 16 अगस्त की रात के शुभ मुहूर्त में ही पूजा करें।

Janmashtami पूजन विधि

जन्माष्टमी का पर्व विधि-विधान से मनाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. संकल्प और तैयारी: सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। दिनभर जलाहार या फलाहार ग्रहण करें और सात्विक जीवनशैली अपनाएं।
  2. पूजा की व्यवस्था: मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण की धातु की मूर्ति या लड्डू गोपाल की तस्वीर को एक साफ चौकी पर स्थापित करें। मूर्ति को दूध, दही, शहद, शर्करा, और घी से स्नान कराएं, जिसे पंचामृत स्नान कहा जाता है। ये सामग्री शंख में डालकर अर्पित करें।
  3. श्रृंगार और भोग: भगवान को पीतांबर वस्त्र, पुष्प, और तुलसी दल अर्पित करें। इसके बाद, उन्हें झूले में बैठाकर झुलाएं और अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
  4. आरती और प्रसाद: धूप, दीप, और आरती करें। भोग के रूप में माखन-मिश्री, धनिया की पंजीरी, और पंचामृत अर्पित करें। पूजा के बाद प्रसाद भक्तों में वितरित करें।

Janmashtami मंत्र जाप

पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:

  • महामंत्र: “ॐ कृष्णाय नमः” या “हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।”
  • प्रेम और आनंद के लिए: ‘मधुराष्टक’ का पाठ करें।
  • आध्यात्मिक उन्नति के लिए: श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें।

ये मंत्र भक्ति और भगवान के प्रति समर्पण को बढ़ाते हैं, जिससे मनोकामनाएं पूरी होने की संभावना बढ़ती है।

Janmashtami का भोग

Janmashtami पर भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग सबसे प्रिय है। इसके अलावा, धनिया की पंजीरी और पंचामृत भी अर्पित किए जाते हैं। भोग में तुलसी दल अवश्य शामिल करें, क्योंकि यह भगवान को अत्यंत प्रिय है।

जन्माष्टमी का महत्व

Janmashtami का व्रत और पूजा सुख, समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति के लिए की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भक्ति-भाव से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम को दर्शाता है।

Janmashtami 2025 का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए विशेष अवसर है। शुभ मुहूर्त में पूजा और व्रत के साथ इस दिन को मनाकर आप भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। पूजन विधि का पालन करें, मंत्र जाप करें, और भोग अर्पित कर इस पर्व को उत्साह के साथ मनाएं।

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