National Retail trade policy going to bring by government for small traders its huge help to their growth | अब झमाझम होगी पैसे की बारिश, छोटे कारोबारियों के लिए सरकार लाने जा रही खुदरा व्यापार नीति

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National Retail trade policy going to bring by government for small traders its huge help to their growth | अब झमाझम होगी पैसे की बारिश, छोटे कारोबारियों के लिए सरकार लाने जा रही खुदरा व्यापार नीति
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Photo:INDIA TV अब झमाझम होगी पैसे की बारिश, छोटे कारोबारियों की हो गई चांदी

National Retail Trade Policy: छोटे उद्योग को बड़ा करने और उसके विकास में चार चांद लगाने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। सरकार कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के मकसद से ईंट-पत्थर के खुदरा कारोबारियों के लिए एक ‘राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति’ लाने पर काम कर रही है। डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड (DIPIT) के संयुक्त सचिव संजीव ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस नीति से व्यापारियों को बेहतर बुनियादी ढांचा और अधिक ऋण उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि विभाग ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के लिए ई-वाणिज्य नीति लाने पर भी काम कर रहा है। संजीव ने यहां ई-वाणिज्य और रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं (एफएमसीजी) पर एक सम्मेलन में कहा कि हम चाहते हैं कि ई-वाणिज्य और खुदरा व्यापारियों के बीच तालमेल बेहतर हो। इसके अतिरिक्त विभाग सभी खुदरा व्यापारियों के लिए ‘बीमा योजना’ बनाने की प्रक्रिया में भी है।

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भारत के खुदरा उद्योग की वृद्धि की रफ्तार दुनिया में सबसे तेज

भारत के खुदरा उद्योग की वृद्धि की रफ्तार दुनिया में सबसे तेज है और इसके 2032 तक दो लाख करोड़ डॉलर का आंकड़ा छूने की उम्मीद है। यह अनुमान रिलायंस रिटेल के निदेशक सुब्रमण्यम वी ने लगाया है। उन्होंने कहा कि भारतीय खुदरा उद्योग के 2022 में 844 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, जिसमें असंगठित क्षेत्र का हिस्सा 87 प्रतिशत का रहेगा। यहां उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सुब्रमण्यम ने कहा कि खुदरा बाजार 10 प्रतिशत सालाना वृद्धि करते हुए 2032 में दो लाख करोड़ डॉलर का होगा। यह वृद्धि दर दुनिया के किसी भी खुदरा बाजार में सबसे ज्यादा है। सुब्रमण्यम ने असंगठित खुदरा क्षेत्र के बारे में बात करते हुए कहा कि यह क्षेत्र बिखरा हुआ है और इसमें आधुनिक बुनियादी ढांचे तथा प्रौद्योगिकी का अभाव है। 

हर क्षेत्र में शानदार ग्रोथ रेट के साथ बढ़ रहा भारत

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने निजी क्षेत्र के निवेश में कमी, उच्च ब्याज दरों और वैश्विक वृद्धि की सुस्त पड़ती रफ्तार को देखते हुए कहा है कि भारत निम्न वृद्धि वाली ‘हिन्दू वृद्धि दर’ के बेहद करीब पहुंच गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 1950 से लेकर 1980 के दशक तक चार प्रतिशत के निम्न स्तर पर रही थी जिसे ‘हिन्दू वृद्धि दर’ भी कहा जाता है। धीमी वृद्धि के लिए ‘हिन्दू वृद्धि दर’ शब्दावली का इस्तेमाल 1978 में भारतीय अर्थशास्त्री राज कृष्ण ने किया था। राजन के मुताबिक, राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) ने पिछले महीने राष्ट्रीय आय के जो अनुमान जारी किए हैं उनसे तिमाही वृद्धि में क्रमिक नरमी के संकेत मिलते हैं जो चिंता की बात है। एनएसओ के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 4.4 फीसदी रह गयी जो दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 6.3 फीसदी और पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 13.2 फीसदी थी। पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 5.2 फीसदी रही थी। 

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