Russia’s Far East में 7.8 की तीव्रता का earthquake: सुनामी अलर्ट ने बढ़ाई टेंशन

Russia's Far East

Russia के दूर-दराज इलाके कमचटका में आज सुबह एक जोरदार भूकंप ने सबको हिला दिया। 7.8 तीव्रता का यह झटका जुलाई में आए 8.8 तीव्रता वाले बड़े भूकंप का आफ्टरशॉक बताया जा रहा है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक, यह भूकंप समुद्र तल के करीब 10 किलोमीटर गहराई पर आया, जिससे आसपास के इलाकों में हलचल मच गई। रूस की इमरजेंसी मिनिस्ट्री ने इसे 7.2 तीव्रता का बताया, लेकिन दोनों ही मामलों में खतरा कम नहीं था। सुनामी की चेतावनी जारी होने से लोग डरे हुए हैं, लेकिन अभी तक कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। आइए, इस घटना को विस्तार से समझते हैं।

भूकंप का झटका: क्या हुआ और कैसे?

यह भूकंप आज सुबह कमचटका प्रायद्वीप के पास आया, जो Russia के पूर्वी छोर पर बेरिंग सागर और प्रशांत महासागर के बीच स्थित है। USGS ने इसे ‘शैलो रिवर्स फॉल्टिंग’ का नतीजा बताया, यानी जमीन के नीचे की परतों में उल्टी दिशा में फिसलन हुई। गहराई सिर्फ 6.2 मील (10 किमी) थी, इसलिए झटके सतह तक तेजी से पहुंचे। इसके बाद कई छोटे आफ्टरशॉक्स भी आए, जिनकी तीव्रता 5.8 तक थी।

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें लोग डरते हुए घरों से बाहर भागते दिख रहे हैं। लाइट फिटिंग्स हिल रही हैं, फर्नीचर कांप रहा है, और सड़कों पर खड़ी कारों के अलार्म बज रहे हैं। कमचटका के गवर्नर व्लादिमीर सोलोडोव ने टेलीग्राम पर लिखा, “यह सुबह कमचटका वासियों की हिम्मत की परीक्षा ले रही है। भूकंप के तुरंत बाद हमने स्कूलों, अस्पतालों और घरों की जांच शुरू कर दी है।” इमरजेंसी सर्विसेज को हाई अलर्ट पर रखा गया है, लेकिन राहत की बात यह है कि कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।

यह इलाका भूकंपीय रूप से बेहद सक्रिय है। पृथ्वी की परतों के जंक्शन पर स्थित होने से यहां भूकंप आम हैं। पिछले हफ्ते ही दो भूकंप 7.0 से ज्यादा तीव्रता के आ चुके हैं। जुलाई में आए 8.8 तीव्रता वाले भूकंप ने तो समूचे प्रशांत क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया था। उसने एक बंदरगाह शहर को बाढ़ में डुबो दिया था और सुनामी अलर्ट जारी कर दिया था। आज का यह झटका उसी का हिस्सा लगता है, जो वैज्ञानिकों को चिंतित कर रहा है।

Russia सुनामी अलर्ट: लहरें उठीं, लेकिन नुकसान नहीं

भूकंप के तुरंत बाद कमचटका के पूर्वी तट पर सुनामी की चेतावनी जारी हो गई। Russia की इमरजेंसी मिनिस्ट्री ने कुरील द्वीप समूह के कुछ हिस्सों के लिए भी अलर्ट भेजा, जो जापान के उत्तर में हैं। लहरों की ऊंचाई 30 से 62 सेंटीमीटर (1 से 2 फीट) तक बताई गई, जो तटों पर पहुंचीं। सौभाग्य से, ये लहरें इतनी छोटी थीं कि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। लोग तट से दूर हट गए, और लोकल अथॉरिटी ने सतर्कता बरती।

अमेरिका के नेशनल वेदर सर्विस और पैसिफिक सुनामी वार्निंग सेंटर ने अलास्का के कुछ हिस्सों के लिए भी सलाह जारी की, लेकिन बाद में इसे हटा लिया गया। यह अलर्ट सिस्टम कितना कारगर है, इसका अंदाजा इसी से लगता है। अगर लहरें बड़ी होतीं, तो हालात भयानक हो सकते थे। कमचटका का पेट्रोपावलोवस्क-कामचैट्स्की शहर, जहां ज्यादातर आबादी रहती है, अब भी जुलाई वाले भूकंप के मलबे से जूझ रहा है। वहां की इमारतें अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुईं, इसलिए आज का झटका और डरावना लगा।

कमचटका: भूकंपों का हॉटस्पॉट क्यों?

कमचटका Russia का सबसे पूर्वी हिस्सा है, जहां ज्वालामुखी और भूकंपों की भरमार है। यह रिंग ऑफ फायर का हिस्सा है, जहां पृथ्वी की टेक्टॉनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं। यहां 300 से ज्यादा ज्वालामुखी हैं, जिनमें से 29 सक्रिय हैं। भूकंप यहां साल में सैकड़ों बार आते हैं, लेकिन इतनी बड़ी तीव्रता वाले कम ही। जुलाई का 8.8 तीव्रता वाला झटका रिकॉर्ड में तीसरा सबसे बड़ा था, जिसने स्थानीय अर्थव्यवस्था को ठप कर दिया। मछली पकड़ने और पर्यटन पर निर्भर यह इलाका अब रिकवरी की जद्दोजहद में है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे आफ्टरशॉक्स कई दिनों या हफ्तों तक चल सकते हैं। इसलिए, लोकल गवर्नमेंट ने लोगों से अपील की है कि सतर्क रहें। इमरजेंसी किट तैयार रखें, घरों की मजबूती चेक करें, और अलर्ट्स पर नजर रखें। Russia की फेडरल सरकार ने अतिरिक्त मदद भेजने का ऐलान किया है, ताकि इलाका जल्द सामान्य हो सके। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता है, क्योंकि यह क्षेत्र प्रशांत महासागर से जुड़ा है। जापान और अलास्का जैसे पड़ोसी इलाके भी सतर्क हैं।

क्या सिखाता है यह भूकंप? तैयारी की जरूरत

यह घटना हमें याद दिलाती है कि प्रकृति के आगे इंसान कितना छोटा है। कमचटका जैसे दूरदराज इलाकों में मदद पहुंचाना मुश्किल होता है, इसलिए लोकल तैयारी ही सबसे बड़ा हथियार है। Russia ने पिछले भूकंप के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर काम शुरू किया है, लेकिन अभी और प्रयासों की जरूरत है। वैश्विक स्तर पर, जलवायु परिवर्तन और टेक्टॉनिक गतिविधियां बढ़ रही हैं, इसलिए ऐसे अलर्ट्स अब आम हो सकते हैं।

भारत जैसे देशों के लिए भी यह सबक है। हम हिमालय क्षेत्र में भूकंपीय जोखिम वाले हैं, इसलिए ड्रिल, मजबूत इमारतें, और त्वरित रेस्पॉन्स सिस्टम जरूरी हैं। सोशल मीडिया पर लोग कमचटका वासियों के लिए दुआएं मांग रहे हैं, और वैज्ञानिक डेटा शेयर कर रहे हैं। उम्मीद है कि यह झटका आखिरी साबित हो, और इलाका शांति से रिकवर करे।

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