Sharad Purnima 2021: अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष 19 अक्टूबर के दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इससे कोजागरी और राज पूर्णिमा भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का काफी महत्व है। ज्योतिषियों के अनुसार पूर्णिमा के दिन चांद सोलह कलाओं के परिपूर्ण होता है।मान्यताओं के मुताबिक इस दिन आकाश से अमृत की वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन चांद पृथ्वी के सबसे निकट होता है। पूर्णिमा के रात्रि चांद दूधिया रोशनी धरती को नहलाती है। इस सफेद उजाले के बीच पूर्णिमा मनाई जाती है।
शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
शरद पूर्णिमा तिथि आरंभ – 19 अक्टूबर शाम 07 बजे से
शरद पूर्णिमा तिथि समाप्त – 20 अक्टूबर रात 08 बजकर 20 मिनट तक
पूर्णिमा के दिन क्यों बनाते हैं खीर?
शरद पूर्णिमा की रात्रि को खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखी जाती है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है। कहा जाता है कि दूध में लैक्टिक एसिड होता है। ये चंद्रमा की तेज प्रकाश में दूध में पहले से मौजूद बैक्टिरिया को बढ़ाता है। वह चांदी के बर्तन में रोग- प्रतिरोधक बढ़ाने की क्षमता होती है। इस लिए खीर को चांदी के बर्तन में रखें। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी सबसे तेज होती है। इस कारण खुले आसमान में खीर रखना फायदेमंद होता है।
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