रोज 8 से 9 घंटे की पढ़ाई इशिता ने बताया कि उन्हें तीसरे प्रयास में यह सफलता मिली है। पहले दो प्रयास में प्रीलिम्स क्लीयर नहीं हो पाया। मां ने पूरा सपोर्ट किया और कहा कि आप तैयारी जारी रखें। इसके बाद रोजाना 8 से 9 घंटे पढ़ाई की। पढ़ाई लगातार की और ईमानदारी से तैयारी की। अपनी कमजोरियों को दूर किया। हर विषय पर अपनी पकड़ मजबूत की। तब जाकर यह सफलता मिल पाई।
इंटरव्यू में चीन और पंचायती राज पर पूछे गए थे सवाल
इशिता ने कहा कि साक्षात्कार के लिए पूरी तैयारी की थी। चीन, पंचायती राज सिस्टम, रिसर्च, खेल समेत तमाम मुद्दों पर सवाल पूछे गए थे। अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन के स्टैंड पर सवाल पूछा गया। उन्होंने इसका समाधान बताया। कहा कि वैश्विक दबाव के बीच भारत को अपना स्टैंड रखना चाहिए।
मां ने पूरा सपोर्ट किया
इशिता के पिता संजय किशोर विंग कमांडर थे और 2004 में ऑन ड्यूटी उनका निधन हो गया था। इशिता की मां ज्योति ने दिल्ली में एयरफोर्स बाल भारती स्कूल लोधी रोड में नौकरी की। गत नवंबर में वह निजी स्कूल में कोआर्डिनेटर के पद से सेवानिवृत्त हुईं। उन्होंने बेटी की पढ़ाई करने में पूरा सपोर्ट किया।
अभ्यर्थियों को सलाह
● सभी को ईमानदारी से तैयारी करनी चाहिए
● अपनी कमजोरी और मजबूती को परखना चाहिए
● दूसरों से तुलना कभी नहीं करनी चाहिए
● जहां पर जरूरी हो, मदद जरूर लेनी चाहिए
● सेल्फ स्टडी पर फोकस रहें।
जिसमें रुचि थी, उसे ही वैकल्पिक विषय चुना
इशिता ने कहा कि जिस विषय पर पकड़ अच्छी हो और आपको उसे पढ़ने में रुचि हो, उसी विषय को ऑप्शनल चुनना चाहिए। इकोनॉमिक्स में ऑनर्स करने के बावजूद इशिता ने पॉलिटिकल साइंस एंड इंटरनेशनल रिलेशन को वैकल्पिक विषय चुना। इशिता ने कहा कि उन्हें लिखने पढ़ने में मजा आता है। राजनीति में भी रुचि है। इसीलिए इस विषय को चुना।
प्रथम स्थान पाना, सपना सच होने जैसा
इशिता किशोर ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में प्रथम स्थान मिलना, सपने के सच होने जैसा है। अधिकारी बनने के बाद वह महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम करेंगी। उन्होंने परिवार के प्रति आभार जताया। कहा, वह बहुत आभारी हैं कि जब वह पहले दो प्रयासों में सिविल सेवा परीक्षा पास नहीं कर पाई तो परिवार साथ खड़ा रहा।