बेटों के साथ परीक्षा की तैयारी करती गुड्डी देवी
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पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती.. बस प्रेरणा मिलनी चाहिए। चाहे कहीं से मिले.. नंदा देवी की गुड्डी देवी को यह प्रेरणा अपने बच्चों से मिली। आठवीं के बाद पारिवारिक कारणों ने पढ़ाई नहीं कर पाई गुड्डी शादी के बाद घर-गृहस्थी में ऐसी फंसी कि बीस साल तक वह किताबों को सिर्फ अपने बच्चों के बस्तों में और उनकी पढ़ाई की टेबल पर ही देखती रही।
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किताबों को देख उसकी आंखों में उभरती चमक को उसके बेटों ने ही महसूस किया। पढ़ाई की ललक को प्रोत्साहन दिया.. तैयारी भी करवाई। नतीजा यह कि इस साल गुड्डी उत्तराखंड बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा दे रही हैं। हिंदी का पहला पेपर अच्छा गया है। 21 मार्च को विज्ञान का पेपर है जिसकी पूरी तैयारी है। उसके बेटे भी साथ में ही परीक्षा दे रहे हैं।