2 रुपए का कैप देगा 35 रुपए का मुनाफा
जर्दालू आम को इंटरनैशनल लुक देने के लिए मैंगो कैप का इस्तेमाल किया जाएगा। मैंगो कैप का इस्तेमाल बीते वर्ष किया गया था, जिसके अच्छे परिणाम आए। आम में ना दाग लगा और ना आंधी-पानी में बर्बाद हुआ। मात्र दो रुपये के कैप ने आम कृषकों की झोली में 30 से 40 रुपये का मुनाफा भर दिया। 10 हजार मैंगो कैप के इस्तेमाल से मिली सफलता के बाद इस बार आंध्र प्रदेश से ही करीब दो लाख मैंगो कैप लाने की तैयारी की गई है।
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आत्मा ने मैंगो कैप के फायदे तमाम जर्दालू किसानों को बताये और नतीजे दिखाए। इससे किसानों में मैंगो कैप लगाने की रुचि बढ़ी है। कृषि विभाग के पास अच्छा खासा डिमांड भी आ गया है। किसानों ने कहा कि यदि राज्य सरकार मैंगो कैप की खरीद पर सब्सिडी दे तो उत्पादन में ज्यादा बढ़ोतरी होगी। बता दें कि जर्दालू को जीआई टैग मिला है। बीते वर्ष से यह वाणिज्य मंत्रालय के प्रयास से लंदन, अमेरिका, बहरीन आदि देशों में आपूर्ति की जा चुकी है।
सुरक्षा कवच लगाने से कीटनाशक की जरूरत नहीं
आत्मा के उप परियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि वाणिज्य मंत्रालय विदेश भेजने से पहले फलों की क्वालिटी व क्वांटिटी पर विशेष ध्यान देता है। इसलिए जर्दालू को चमकदार व दाग-धब्बे रहित बनाने की तमाम तैयारी की जाती है। इसी कड़ी में बीते साल मैंगो कैप का प्रयोग किया गया। सुरक्षा कवच (मैंगो कैप) आम की उच्च गुणवत्ता जैसी उपज देती है। यह कवच कोहरा, धब्बे, बर्फ का कीड़ा, अखरोट का कीड़ा, मकर, मक्खियों से बचाता है। इसे फल के नींबू या अंडे के आकार का उपयोग किया जाना चाहिए। अच्छे पके पिंडों को थैली में रखा जाना चाहिए। स्ट्रिंग को स्टेम के ऊपर तीन सेंटीमीटर बांधना चाहिए। इसे 50 दिनों के बाद काटा जा सकता है। इससे और भी फायदे हैं। यह थैली फल को किसी भी कीट से बचाती है। फलों पर कीटनाशक की आवश्यकता नहीं होती है। यह कैप अत्यधिक धूप और ओला-बारिश से बचाता है। जिले के कहलगांव, पीरपैंती, सुल्तागंज आदि आम उत्पादक क्षेत्र में मैंगो कैप लगाया गया था। आम की अच्छी वेरायटी मिली।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
भागलपुर के जिलाधिकारी सुब्रत सेन ने बताया कि पिछली बार आम के बागीचे में मैंगो कैप लगाया गया। कृषि अधिकारियों ने बताया कि मैंगो कैप से आम की क्वालिटी बेहतर हो गई। इस बार बड़े पैमाने पर इस प्रयोग को दुहराया जाएगा। डीएम ने कहा कि आकर्षक फलों के दाम भी अच्छे मिलते है। इससे किसानों की आमदनी में बढ़त होगी।
जीआई टैग प्राप्त है
बता दें कि भागलपुर के प्रसिद्ध जर्दालू आम को वर्ष 2018 में जिओग्राफिककल इंडिकेशन यानी जीआई टैग मिल चुका है। पिछले कुछ सालों से बिहार सरकार द्वारा भारतीय उच्चायोग और इन्वेस्ट इंडिया के साथ भागीदारी कर एपिडा के माध्यम से जर्दालू आम का निर्यात किया जा रहा है। इस साल से निर्यात की मात्रा में बढ़ोतरी की तैयारी अभी से की जा रही है।